Friday, September 16, 2011

गुरु की महिमा ...

सत्य के पथ पर
चलते चलते
मिलते
कुछ अंधियारे हैं !
सांथ गुरु की कृपा हो
तब
हो जाते उजियारे हैं ...
गुरु की महिमा
गुरु ही जाने
भक्त तो बढ़ते रहते हैं
चलते चलते
बढ़ते बढ़ते
मंजिल में मिल जाते हैं !!

2 comments:

ASHOK BAJAJ said...

मंजिल तक पहुँचाने में गुरु की अहम् भूमिका होती है . आपने बहुत सरल एवं सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है , बधाई !

प्रवीण पाण्डेय said...

राह दिखाती गुरु की वाणी।