हिंद की शान है हिन्दी, मेरा अभिमान है हिन्दी
देश हो, विदेश हो, हमारा स्वाभिमान है हिन्दी !
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अभी अंजान है दुनिया, मेरी आँखों की फितरत से
सच ! जिसे चाहे, मैं जब चाहूँ, उसे मैं लूट लेता हूँ !
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कब तक करते शर्म, अब गर्व कर रहे हैं
भ्रष्ट-घोटालेबाज देश में राज कर रहे हैं !
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कब्र में लटके हैं पैर, फिर भी शेर हैं
खुद हो रहे शिकार, फिर भी शेर हैं !
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मामी, काकी, भुआ, मासी, अब ये बातें बहुत पुरानी हुई हैं
सच ! आज नारी, कदम संग कदम, कंधे संग कंधा हुई हैं !
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परदे की आड़ से, मुझे देख मुस्कुरा रहा था कोई
उफ़ ! दो कदम के फासले से, डर रहा था कोई !!
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जंग मुश्किल नहीं, तो आसां भी नहीं है 'उदय'
कदम कदम पे भ्रष्टाचारियों की पैंतरेबाजी है !
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हमें तो चेहरे चेहरे में अनेक चेहरे दिख रहे हैं
उफ़ ! यकीं हो तो किस पे, न हो तो किस पे !
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पुराने दौर में सच और झूठ में भ्रम हो जाता था
उफ़ ! आज तो कोई मुगालते में नहीं दिखता !!
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'हिन्दी' है जो आज भी, हमें 'दुल्हन' लगे है
कभी आँगन, कभी 'मंदिर' की मूरत लगे है !
4 comments:
निज भाषा उन्नति अहे.....
nice collection...
हिंदी दिवस पर
बहुत ही रोचक और विश्लेष्णात्मक पोस्ट
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
वंदना गुप्ता जी की तरफ से सूचना
आज 14- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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