दिल्ली ...
कहीं ऐसा तो नहीं
खंड खंड पर
पाखंडियों का कब्जा हुआ है
तब ही
पहले धमाके
फिर जमीनी झटके लगे हैं !
वजह चाहे जो हो
पर, हुआ अच्छा नहीं है
देश अपना है
लोग अपने हैं
जो मर गए, जो तड़फ रहे हैं
और जो दहशत में हैं
वे अपने हैं, हम सब के हैं
पाखंडियों का क्या
उनके कानों पे, जूँ भी कब रेंगी है
कब पीड़ा हुई है उन्हें
शायद नहीं
गर हुई होती तो
वे धमाके होने पर
घडियाली आंसू
न बहा रहे होते, धन्य हैं
सारे के सारे पाखंडी
और उनके, घडियाली आंसू !!
4 comments:
भाई इन नेताओं के पास और है ही क्या सिवाय इन घडियाली आंसुओ के...
अगर चाहे तो यंहा भी विचरण करे
http://bhadas.blogspot.com/2011/09/blog-post_959.html
वाह बेहतरीन !!!!
जो हत या आहत हुये, उनकी पीड़ा असली है।
so angry... so helpless
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