Saturday, August 27, 2011

सच ! ये कैसा आदमी है !!

लोग कहते हैं
चौहत्तर साल का बूढा है
सातवीं-आठवीं पास है
गाँव का आदमी है
मंदिर में सोता-जगता है
बहुत, सीधा-सरल
दयालु-कृपालु स्वभाव का है
उसे अपनी नहीं
समाज की, देश की चिंता है
इसी चिंता के लिए
वह, भ्रष्टाचार से
लड़ रहा है, अड़ रहा है !
सच ! ये कैसा आदमी है !!

जिसे अपनी नहीं
जनमानस की चिंता है !
ये कैसा कलयुग है
शायद
कलयुग नहीं, हमारा भ्रम है !
आओ, देखो, चलो
कैंसे, एक अकेले, बूढ़े -
और जज्बाती अन्ना ने
दृढ निश्चय कर
आगे कदम बढाया है
सच ! ये कैसा आदमी है !!

जिस भ्रष्टाचार से
आप, हम, सब, सारे लोग
परेशां, हैरान, त्रस्त हैं !
उसी भ्रष्टाचार को
ध्वस्त करने
वह
अड़ गया है, भिड़ गया है !
आज
चारों ओर, यही नारा गूँज रहा है
तू भी अन्ना -
मैं भी अन्ना -
आज सारा देश है अन्ना !
सच ! ये कैसा आदमी है !!

6 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सच ये कैसा आदमी है ..जिसके पीछे सारा जनसमुदाय उमड़ पड़ा है ... अच्छी प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय said...

पर पीड़ा की चिन्ता ही योग्यता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यही आदमी है..

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अन्ना ने कमाल कर दिया..... सोये हुए भारतियों को एक बार फिर जगा दिया.

संगीता पुरी said...

सच ! ये कैसा आदमी है !!

अरुण चन्द्र रॉय said...

यही आदमी है