लोग कहते हैं
चौहत्तर साल का बूढा है
सातवीं-आठवीं पास है
गाँव का आदमी है
मंदिर में सोता-जगता है
बहुत, सीधा-सरल
दयालु-कृपालु स्वभाव का है
उसे अपनी नहीं
समाज की, देश की चिंता है
इसी चिंता के लिए
वह, भ्रष्टाचार से
लड़ रहा है, अड़ रहा है !
सच ! ये कैसा आदमी है !!
जिसे अपनी नहीं
जनमानस की चिंता है !
ये कैसा कलयुग है
शायद
कलयुग नहीं, हमारा भ्रम है !
आओ, देखो, चलो
कैंसे, एक अकेले, बूढ़े -
और जज्बाती अन्ना ने
दृढ निश्चय कर
आगे कदम बढाया है
सच ! ये कैसा आदमी है !!
जिस भ्रष्टाचार से
आप, हम, सब, सारे लोग
परेशां, हैरान, त्रस्त हैं !
उसी भ्रष्टाचार को
ध्वस्त करने
वह
अड़ गया है, भिड़ गया है !
आज
चारों ओर, यही नारा गूँज रहा है
तू भी अन्ना -
मैं भी अन्ना -
आज सारा देश है अन्ना !
सच ! ये कैसा आदमी है !!
6 comments:
सच ये कैसा आदमी है ..जिसके पीछे सारा जनसमुदाय उमड़ पड़ा है ... अच्छी प्रस्तुति
पर पीड़ा की चिन्ता ही योग्यता है।
यही आदमी है..
अन्ना ने कमाल कर दिया..... सोये हुए भारतियों को एक बार फिर जगा दिया.
सच ! ये कैसा आदमी है !!
यही आदमी है
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