Monday, July 25, 2011

बंदरबांट !

कोई
चीख चीख के चिल्ला रहा है
कि -
सिर्फ मैं अकेला दोषी नहीं
और भी हैं
और भी से, मेरा मतलब
हमारे मुखिया से है
वह जानता था, सब थी खबर उसको
सिर्फ खबर ही नहीं
इस बंदरबांट में, उसका भी हिस्सा था
हमने दिया है, उसने लिया है
फिर कैसे
सिर्फ मैं अकेला जिम्मेदार हूँ
इतने बड़े घोटाले, भ्रष्टाचार का
वो मुखिया है
तो क्या बच जाएगा, और मैं छोटा हूँ तो
क्या जेल चला जाऊंगा
ऐसा नहीं होगा, कतई नहीं
मुझे बाहर निकालो, नहीं तो
तुम सब की, खैर नहीं
मैं तो चीखूंगा-चिल्लाऊंगा
बताऊंगा सब को कि -
सिर्फ मैं नहीं, मेरा मुखिया, और सारे मुखौटे
सब के सब, जिम्मेदार हैं
सब का, हाँथ है, दिल है, दिमाग है
इस महा घोटाले में ... जय हो ... !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सहभागिता का लोकतन्त्र है।