Tuesday, July 26, 2011

ढूँढता हूँ ...

सच ! मैं बन गया हूँ
मील का पत्थर
कोई राहगीर ढूँढता हूँ !

सजा लिए हैं, अरमां
दिलों
में

कोई दिलदार ढूँढता हूँ !

लुट रहा है, लूट रहे हैं
देश, भ्रष्टाचारी
कोई सशक्त क़ानून ढूँढता हूँ !

कब्रिस्तान न बन जाए
जमीं मेरी
अलख जगाने
सिर पे कफ़न बांध घूमता हूँ !

हूँ मैं तो खडा, बन इंकलाबी
सफ़र में
गांधी, सुभाष, आजाद, ढूँढता हूँ !!

3 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

क्या अब कोई ऐसा नेता आएगा इस देश में ????????????????

प्रवीण पाण्डेय said...

आपकी खोज में हम भी शामिल हैं।

Arun sathi said...

पता नहीं अब यह दिन आएगा भी या नहीं?

प्रेरक कविता के लिए आभार।