मील का पत्थर
कोई राहगीर ढूँढता हूँ !
सजा लिए हैं, अरमां
दिलों में
कोई दिलदार ढूँढता हूँ !
लुट रहा है, लूट रहे हैं
देश, भ्रष्टाचारी
कोई सशक्त क़ानून ढूँढता हूँ !
कब्रिस्तान न बन जाए
देश, भ्रष्टाचारी
कोई सशक्त क़ानून ढूँढता हूँ !
कब्रिस्तान न बन जाए
जमीं मेरी
अलख जगाने
सिर पे कफ़न बांध घूमता हूँ !
हूँ मैं तो खडा, बन इंकलाबी
सफ़र में
सफ़र में
गांधी, सुभाष, आजाद, ढूँढता हूँ !!
3 comments:
क्या अब कोई ऐसा नेता आएगा इस देश में ????????????????
आपकी खोज में हम भी शामिल हैं।
पता नहीं अब यह दिन आएगा भी या नहीं?
प्रेरक कविता के लिए आभार।
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