जब
मन उदास होता है
एक अजीब-सी बेचैनी होती है
सांथ सांथ !
हर घड़ी, हर पल
सन्नाटा-सा छाया होता है
हमारे आस-पास
हम चाहते हैं, बार बार चाहते हैं
दूर हो बेचैनी, हमसे !
पर, पुराने हर प्रयास की तरह
नया प्रयास भी
असफल-सा लगता है !
हम घिरे होते हैं, घिर चुके होते हैं
बेचैनी से !
बेचैनी से !
हम, पल-पल उम्मीदों के सांथ
न चाहकर, न चाहते हुए
वक्त के संग लड़ रहे होते हैं
जी रहे होते हैं !
न चाहकर, न चाहते हुए
वक्त के संग लड़ रहे होते हैं
जी रहे होते हैं !
हर घड़ी, हर पल, बेचैनी में !!
5 comments:
बहुत परेशान करने वाला माहौल हो चुका है..
मन का हाल बाँचती कविता।
एक-एक शब्द भावपूर्ण .
भावपूर्ण कविता .
bahut khoob....
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