भूख न होती, रोटी होती
तुम भी होते, हम भी होते
टुकड़ा टुकड़ा करते रोटी
तुम भी खाते, हम भी खाते !
भूख होती, रोटी न होती
तुम भी होते, हम भी होते
तरश्ते, बिलखते, सिकुड़ते
तुम भी रोते, हम भी रोते !
भूख होती, रोटी भी होती
तुम भी होते, हम भी होते
रोटी रोटी, टुकड़ा टुकड़ा
तुम भी लड़ते, हम भी लड़ते !!
6 comments:
kadva sach
एक कटु सत्य की बहुत सटीक प्रस्तुति..
सत्य को कहती सटीक रचना ..यही होता है ..जब रोती भी और भूख भी तो आपस में लड़ाई ही हो जाती है .. अच्छे बिम्ब लिए हैं
कटु सत्य!
कडवे सच को प्रस्तुत करती ...... संवेदनशील प्रस्तुति..
रोटी भी है, भूख भी है, धैर्य नहीं बस।
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