बाबू जी ...
क्या थे, क्या नहीं थे
आज भी, समझना बांकी है
आज "फादर्स डे" पर
वे, यादों में, कुछ इस तरह
उमड़ आये
आँखें, न चाह कर भी
खुद-ब-खुद नम हो गईं
वैसे तो अक्सर
हो ही जाती हैं, नम
आँखें, उनकी याद में
पर, आज, कुछ ज्यादा ही
लबालब हो चलीं
खैर ...
कोई चाहे, या न भी चाहे
फिर भी होते हैं सांथ
हर घड़ी, हर पल, हर क्षण
जिन्दगी के सफ़र में
बन ... हमसफ़र
संग संग ...
यादों के साये में ... बाबू जी !!
9 comments:
पिता,बस नाम ही काफी है.
क्या कहूँ..
बस नमन उन्हें ।
पिता नाम ही काफ़ी होता है।
Mujhe aise me apne Dada ji yaad aate hain...aur aankhen nam hotee hain.
मेरा भी प्रणाम, बधाई इस दिन की।
पितृ दिवस पर खूबसूरत रचना बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
मेरा भी नमन
पितृ दिवस पर आपके द्वारा की गयी इस सुंदर प्रस्तुति की चर्चा ब्लॉग4वार्ता में की गयी है !!
श्याम कोरी उदय जी -मार्मिक लेख -निम्न पंक्तियाँ बहुत ही सटीक पिता पर -शुभ कामनाएं
कोई चाहे, या न भी चाहे
फिर भी होते हैं सांथ
हर घड़ी, हर पल, हर क्षण
जिन्दगी के सफ़र में
बन ... हमसफ़र
संग संग ...
यादों के साये में ... बाबू जी !!
शुक्ल भ्रमर ५
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