Friday, June 3, 2011

... स्वामी रामदेव जी ... मुद्दे और भी हैं !!

जय हो ...
बाबा जी ... स्वामी जी
योगगुरु जी ...
स्वामी रामदेव जी
जय हो ...
आप ज्ञानी-अन्तर्यामी हैं ...
सदा ... आपकी जय जयकार हो
भ्रष्टाचार और कालेधन
पर आपका प्रहार ... पुरजोर है
जय हो !
पर ... भ्रष्टाचार और कालेधन
के अलावा ... मुद्दे और भी हैं
देश की जनता
मिलावटखोरी ... जमाखोरी ...
कालाबाजारी ... टैक्सचोरी ...
... अवैध कब्जा धारियों ... से भी
त्राहीमाम-त्राहीमाम है
आप ... ज्ञानी और अन्तर्यामी हैं
इन गंभीर मुद्दों को ... कैसे ... भूल गए
भ्रष्टाचार और कालेधन
के सांथ-सांथ ... ये भी गंभीर मुद्दे हैं
इनसे जुड़े ... आरोपियों को भी
आजीवन कारावास ... फाँसी ...
जैसी गंभीर सजाओं ... पर गौर कीजिये
जय हो ... बाबा जी ... जय हो !!

6 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सच तो कडुआ ही होता है।

---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?
ब्‍लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।

प्रवीण पाण्डेय said...

हजारों ख्वाहिशें ऐसी।

सतीश कुमार चौहान said...

इन बाबा जी द्वारा भीडतंत्र को लोकतंत्र का जामा पहनाने का प्रयास प्रजातंत्र के लिऐ आत्मtघाती कदम हैं, सवा सौ करोड में पांच दस लाख को जुटाकर जब हम अपने देश की ही सरकार को ललकारेगे तो विदेश के लोग तो आसानी से हमारी ऐसी की तैसी कर देगें, राम देव जी अगर योग को घर घर तक पहुचाने की बात करते हैं तो भष्ट्राऐचार रहित संस्काेर की बाते भी घर घर पहुचा सकते थे इस तरह दिल्ली के रामलीला मैदान में पांच सितारा टेण्टक लगाकर ग्याभरह हजार चार सौ करोड के योगी का चंदे में पांच दस लाख की मांग करना क्यां अस्वाटभाविक नही हैं ........खैर पब्लिक सब खेल समझ रही हैं सब मीडिया के कैमरे का कमाल हैं......सतीश कुमार चौहान भिलाई satishkumarchouhan@blogspot.com

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सतीश जी आप संघर्ष करो, सामने आओ, हम आपके साथ हैं, कब से धरने पर बैठेंगे या फिर अन्य किसी तरीके से काम करेंगे...

सूर्यकान्त गुप्ता said...

आदरणीय उदयभाई जी, क्षमा चाहूंगा उस दिन व्यस्तता के कारण आ नही पाया। ईश्वर से बाबूजी की आत्मा की शान्ति के लिये व आप लोगों को इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करने के लिये प्रार्थना करते हुए……॥ आपने बाबाजी का ध्यान और मुद्दों के लिये आकर्षित किया है; सराहनीय है। एक बात और इस बात का भी जन जन मे अलख जगाना होगा कि सभी आत्मावलोकन भी करें। नियम के तहत चलने के लिये जीवन मे अनुशासन लाना होगा। इसका छोटा उदाहरण मुझे नागपुर रेल्वे स्टेशन मे टिकिट घर मे देखने को मिला। वहां कतार मे खड़े लोगों के अलावा टिकट लेने वालों की खैर नही रहती। याने नो इधर उधर से जुगाड़।

Akil said...

I re-voice the comment of Mr Suryakant Gupta ... We Need to have self realisation.... After such rebelious protest we come back to our daily life of bribing and letting go the things around...Anna Ji has Started something others are trying to encash such scene ...
But for Corruption we dont need leader... we need our self ... very strong ... ready to recieve the worst... and I always Remeber Hero Puch's Ad ... Akele Hoti hai Nayi suruwat... Tumhare pass shakti hai... Zamana dega Sath....