Thursday, June 2, 2011

प्रगतिशील गाँव ...

हमारा गाँव ...
एक प्रगतिशील गाँव है
लगातार ... दिन-ब-दिन तरक्की कर रहा है
तरक्की ऐसी, कि कागजों में पुरजोर है
पर ... तरक्की की आड़ में
भ्रष्टाचार का महाजोर है !

हमारा सरपंच ... सब के सब पंच
और उनके आला अफसर, कर्ता-धर्ता
भ्रष्टाचार के नए नए आयाम रच रहे हैं
गुल-पे-गुल खिला रहे हैं
खूब घोटाले ... गड़बड़झाले कर रहे हैं
समय समय पर ... पंचायती मेला लगा कर
वेतन, भत्ते, बंगला, गाडी, फोन, फैक्स
इत्यादि भौतिक सुख-सुविधाओं का
खुद-ब-खुद ... खुद के लिए
भरपूर इंतजाम कर ले रहे हैं !

योजनाओं, परियोजनाओं और विदेशी दौरों की आड़ में
खूब सरकारी धन लुटा रहे हैं
सारी दुनिया ... अब ... हमारे गाँव को
घोटालों का गाँव ... के नाम से
जानने - पहचानने लगी है
क्यों, क्योंकि ... साल में
दो - चार नामी-गिरामी पंच
कर्म तो सभी के हैं ... पर दो-चार
जरुर ... कालकोठरी में पहुँच रहे हैं !

खुशनसीबी ... पंचों की आड़ में
सरपंच ... बार बार बच निकल जा रहा है
हमारा सरपंच ... सच माना जाए तो
गड़बड़झालों का असल 'मास्टर माइंड' है
गाँव की त्रस्त और पस्त आत्माएं
त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही हैं
और मस्त आत्माएं ... मस्त-ही-मस्त हैं
छोटी-मोटी आत्माएं, आवाजें
दफ़न कर दी ... कुचल दी जा रही हैं !

गाँव के लोग डरे, सहमे हुए हैं
आवाज उठाने से भी डरने लगे हैं
डरते हैं ... कहीं ... कोई उन्हें
दबोच न दे ... मुरकेट न दे
गाँव का आलम ... पूछों ... मत पूछों
मस्त, मस्त हैं ... और त्रस्त, त्रस्त हैं
फिर भी ...
हमारा गाँव ... एक प्रगतिशील गाँव है !!

8 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

किसी भी दिशा में सही, प्रगति तो हो रही है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इसी में तो नाम है...

Patali-The-Village said...

चलो विकास तो हो रहा है| सरपंच के घर का ही सही|

राज भाटिय़ा said...

इस ग्तांव क सरपंच तो सुना हे अपने लोगो के लिये इमान दार हे,(गांव के लोगो का भगवान रखवाला) बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

Rahul Singh said...

एक परत हटाकर देखें, गांव में इससे इतर बहुत कुछ और है.

Smart Indian said...

वाकई एक प्रगतिशील ठाँव है।

Er. सत्यम शिवम said...

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (04.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
स्पेशल काव्यमयी चर्चाः-“चाहत” (आरती झा)

Udan Tashtari said...

विकास होता रहे...बेहतरीन!!