Monday, April 4, 2011

क्रिकेट, खिलाड़ी, पुरूस्कार, इस देश का अब क्या होगा !

अब तो सरकारें भी खिलाड़ियों की चमचागिरी पे उतारू हैं
क्रिकेट, खिलाड़ी, पुरूस्कार, इस देश का अब क्या होगा !
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उफ़ ! क्या मंजर हुए हैं देखो, तेरी दीवानगी में यारा
जब कुछ बचा नहीं तो, खुद का सौदा किये पड़े हैं !!

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सच ! माँ, ममता, दुआएं, आशीर्वाद, मेरा सफ़र आसां होगा
गर कोई चाहे रोकना हमको, फिर भी फासला तो तय होगा !
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सुनते हैं साहित्यिक जमात में भी कुछेक नंगे-लुच्चों का डेरा है
उफ़ ! गर है तो उनकी नंगाई-लुच्चाई भी काबिले तारीफ़ होगी !
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मुश्किल, मुश्किलें, मुश्किलात में भी हमें तो जीना होगा
कठिन से कठिन हालात क्यूं हों, सफ़र तय करना होगा !
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'रब' ने कुछ कुछ सोच कर ही तुझे संवारा होगा
खुबसूरती में तुझसा, कोई दूजा बनाया होगा !
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जिसने ढक लिया हांथों से अपना हंसी चेहरा
शायद वो चाँद से, कहीं कुछ कम नहीं होगा !

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कोई अपना, छलता रहा जीवन भर, मुझे धीरे धीरे
हांथ, तन, मन, खाली हुए तो जाना छलावा मैंने !
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सच ! तेरे शब्दों ने जो बनाए थे रिश्ते, मुझसे मीठे-मीठे
आज पास तू नहीं है, तब भी रिश्तों की कसक ज़िंदा है !
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जिन्दगी का अंदाज भी क्या खूब अंदाज है 'उदय'
देखते रहो, गुजरते रहेगी, हौले हौले ये जिन्दगी !

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

आनी जानी,
गज़ब कहानी।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आप बड़ी खूबसूरती से अपनी बात छोटे से शेरों के माध्यम से कह देते हैं...

शिवा said...

बिलकुल सही कहा आपने ..

bilaspur property market said...

क्या खूब लिखा है उदय जी
बहुत बढ़िया .........
देखते रहो, गुजरते रहेगी, हौले हौले ये जिन्दगी