Thursday, April 28, 2011

... बन मील का पत्थर, वही राहें दिखाएंगे !!

जो जा छिपे बैठे हैं, डर से कंदराओं में
वक्त के तूफां, उन्हें भी बाहर लायेंगे !
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सवालों पे सवाल उठाने की देश में नई रीत चली है
सच्ची आस्थाएं भी, सवालों के कटघरे में खडी हैं !
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चप्पे-चप्पे पे माफिया राज चल रहा है 'उदय'
क्यों , फिर किसी अन्ना को जगाया जाए !
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ये कैसा तंत्र है, जिसे सब लोकतंत्र कहते हैं
लोग हैं बंद जेलों में, और चुनाव जीते पड़े हैं !
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उफ़ ! इसे तुम धोखा, धोखाधड़ी मत समझो यारो
ये खुल्लम-खुल्ला लूट है, इन्हें दण्डित करो यारो !
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क्यों टांग दें खूंटी पे, ऐसी रश्मों को
जो फर्क करती हैं, आदमी-औरत में !
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तराश के पत्थर, जमीं में गाड़ दो यारो
बन मील का पत्थर, वही राहें दिखाएंगे !!

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ये कैसा तंत्र है, जिसे सब लोकतंत्र कहते हैं
लोग हैं बंद जेलों में, और चुनाव जीते पड़े हैं !
...

bahut baddhiya..