Wednesday, April 6, 2011

... गर लगाम कसी जाए, तो इसमें हर्ज ही क्या है !

हमें गर्व होना चाहिए कि हम भ्रष्ट देश के बासिन्दे हैं
उफ़ ! भ्रष्टतम भ्रष्ट लोग सत्ता के शिखर पर हैं !
...
अब ढूंढो हमें, तुम जहन में अपने
हुई देर बहुत, अब हवाओं में बसर है मेरा !
...
मेरी बेचैनगी का सबब जानकर, वो खामोश हुए
सच ! यही तो एक बजह थी, जो मैं चुप बैठा था !
...
जो दोस्त बनकर हमें, रोज रोज नए सपने दिखा रहे थे
फर्ज अदायगी के समय, सब के सब भगोड़े निकले ! !
...
क्या ख्याल है अपना, और क्या बताएं अब तुम्हें
क्रिकेट विजेताओं के अलावा भी, गोल्ड विजेता हैं !
...
सच ! भ्रष्टाचाररूपी कीड़े ने, लोकतंत्र को खोखला कर रखा है
क्यों पहले कीड़े से निजात पाएं, सरकारें तो बनते रहेंगी !
...
भ्रष्टतम भ्रष्ट सरकारें, भ्रष्टाचारी, अपने अपने चरम पे हैं
उफ़ ! गर इन्हें अभी नहीं रोका गया, तो गुलामी तय है !
...
सरकारें और उनके नुमाइंदे, बेलगाम घोड़े हुए हैं
गर लगाम कसी जाए, तो इसमें हर्ज ही क्या है !

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर देश के लिये कोई हर्ज नहीं।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

एक दिन टाप पर होंगे... :)