जिन पे सारा जहां, खुद-ब-खुद खुशियाँ लुटते-लुटाते फिरता है
अब क्या कहें, हम बेफिक्र हैं, पहले से ही उनकी गिरफ्त में हैं !
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दिलो-जान से मिन्नतें कर ली हैं हमने, नजर ना लगे
सच ! अब कोई चाहकर भी, कुछ बिगाड़ नहीं सकता !
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काश ! लूट-पाट व लुटेरों के लिए भी कोई आचार संहिता होती
सच ! कम से कम गरीब, भिखारी, रोगी तो लुटने से बच जाते !
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भोपाल गैस कांड, मरने वाले लोग, मर कर भी अमर नहीं हुए
पर सच्चाई तो सब जानते हैं, कि कुछ जीते जी अमर हो गए !
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अब क्या सुनाएँ दास्ताँ , कैसे गुज़री जिन्दगी अपनी
उफ़ ! कोई हमें चाहता भी रहा, और खामोश भी रहा !
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जागते जागते सारी रात कट गई
फिर किसी ने कहा - जागते रहो !
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'रब' जाने क्यूं वो आज भी, अजनबी ही रहा
मुद्दत से हमें चाह थी, मुलाक़ात हो उससे !
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ये सच है हम सब की अलग अलग विचारधाराएँ हैं
गठबंधन की शर्त - भ्रष्टाचार, पर सब एक मत हैं !
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हौले हौले बदन उघर रहा था, गुमसुम थी
सुहागरात पर वह खुशी से, लबालब थी !
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सच ! सलमान ने भी, खूब सतरंगी पतंगें उड़ाई हैं
मगर अफसोस ! कैटरीना ने उसके तोते उड़ा दिए !!
1 comment:
वाह।
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