अब खंजर ही सच बयां कर सकते हैं 'उदय'
कलम कहीं बिक गई, तो कहीं गुलाम हुई है !
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तेरी खूबियाँ किसी इबादत से कम नहीं लगतीं
सच ! सोचता हूँ कहीं 'खुदा' तुमसा तो नहीं होगा !
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अफसरान खुदी की जगहंसाई में मस्त-मौला हुए हैं
उफ़ ! नेक-नियती से उन्हें परहेज सा हुआ है !
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हांथ खाली ही सही, पर हौसले बुलंद हैं
कुछ सपने सहेजना, और कुछ खरीदना बांकी है !
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किसी की मजाल कहाँ थी जो इन मनहूसों को खरीद लेता
वो तो इन्होंने खुद को हंसी-खुशी बेच दिया होगा !
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अब कोई हमें, जन्नत का दिलासा न दे
हम तो पहुंचे हैं यहाँ, उसी रास्ते होकर !
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2 comments:
अब कोई हमें, जन्नत का दिलासा न दे
हम तो पहुंचे हैं यहाँ, उसी रास्ते होकर !
होली है
होली की हार्दिक शुभकामनायें
manish jaiswal
Bilaspur
chhattisgarh
रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
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