सच ! कोई कुछ भी कहे, तुमसा नहीं दूजा कोई
हुस्न, जिस्म, रंग, खुशबू, है सबसे जुदा जुदा !
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मेरी महक, जिस्म, धड़कनों, जज्बों, का इम्तिहां न लो
सच ! कहीं तुम मिट न जाओ, मुझको मिटाते मिटाते !
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नारी संग नारी, लड़ने-भिड़ने की है तैयारी
हार न जाए, जीत न जाए, संघर्ष है जारी !
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न जाने, किसने, किसका, हांथ पकड़ रक्खा है
सच ! लोग कर ही रहे हैं, जिसको, जो करना है !
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नारी ने जन्मा है नर को, अन्दर पोसा, बाहर पोसा
रूप दिया, आकार दिया, जीवन और संस्कार दिया !
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तेरी आँखों के मैकदे से, जब से दो घूँट पी के निकला हूँ
क्या कहें, तब से अब तक, नशे में ही बसर कर रहा हूँ !
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तुझे देखते ही कदम मेरे, खुद-व्-खुद बहकने लगे हैं
उफ़ ! कब तक दिलासा दूं दिल को, क्यूं न बहक जाऊं !
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बदलने को, जमाने संग हम भी बदल जाते
कोई बेवफा कहे, सुनना खुशगवार नहीं था !
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जताने, निभाने, भुलाने, आजमाने, सुनने, सुनाने
किसी दिन बैठ के बातें करेंगे, पहले दोस्ती कर लें !
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मीठी, तीखी, भोली, चंचल, कोमल, लगे है तितली सी
दिल को, मन को, हर दम मुझको, भाती है एक लड़की !!
5 comments:
अन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
अन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
इस दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!!
अन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
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