बहुत दिनों से ब्लोग विश्लेषण का दौर चल रहा था
आज पता चला, खोदा पहाड और निकली चुहिईया !
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तुम्हारी यादों के बंधन, हमेशा साथ होते हैं
सफ़र कैसे गुजरता है, हमें मालुम नहीं पड़ता !
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चिट्ठे नुमा बच्चे सहेज के रखे जाएँ
आज के साथ साथ, कल भी सुकूं देंगे !
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ऊंचीं इमारते सूनी पडी हैं, वहां है डर का बसेरा
खंडहर हुईं, कोई जाता नहीं, दीवारें चीखती हैं !
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उफ़ ! क्या करे मजबूर है, शौहरत के नशे में चूर है
पिटने-पिटाने से बच रहा है, फिर भी छाया सुरूर है !
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कोई है जो सपनों में भी, आ आ कर सता रहा है
पर खता क्या है हमारी, पूछने पर शर्मा रहा है !
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चलो देखें, कौन हंसता है, बेबसी पे
बेबस हुए तो हुए, पर लाचार नहीं हैं !
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अब क्या कहें, रोज तो रोज है, खुशबू के क्या कहने
रोज मिले न मिले, खुशबू सही, पर रोज मिलती रहे !
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सुना है, तुसी ग्रेट हो ! ब्लॉग बुखार तो ठीक है
कोई इसका सीरप, गोली, इंजेक्शन तो सुजाओ !
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कतरा कतरा आंसू तिरे जब तक गिरते रहे
सच ! ऐसा लगा जैसे सैलाब उमड़ रहा हो !
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क्या करें मजबूर हैं, गर पति को न समझें सलमान-शाहरुख
सच ! तो खुद को ऐश्वर्या, कैटरीना, करीना, कैसे कह पाएंगी !!
6 comments:
कोई है जो सपनों में भी, आ आ कर सता रहा है
पर खता क्या है हमारी, पूछने पर शर्मा रहा है !
क्या करें मजबूर हैं, गर पति को न समझें सलमान-शाहरुख
सच ! तो खुद को ऐश्वर्या, कैटरीना, करीना, कैसे कह पाएंगी !!
bahut khub
सच है।
क्या करें मजबूर हैं,
प्रेमदिवस की शुभकामनाये !
क्या करें मजबूर हैं, गर पति को न समझें सलमान-शाहरुख
सच ! तो खुद को ऐश्वर्या, कैटरीना, करीना, कैसे कह पाएंगी !!
:) :) ...अच्छा व्यंग ..
सत्य वचन.
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