हम तो दफ्न कर के आ गए थे, कल विवादों को
न जाने किसने उन्हें कुरेद के, ज़िंदा फिर कर दिया !
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सरकार चिंतित नहीं, हम विदेश में हैं, जान आफत में है
उफ़ ! सरकार की तो छोडो, तुम्हें कब देश की चिंता रही !
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सरकार और जनता का, रोना-धोना बंद कराया जाए
दोनों फिकरमंद हैं, दोनों को पर्याप्त मौक़ा दिया जाए !
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लो अभी तक तो हमने कुछ किया नहीं, फरेबी बना दिया
जो वादे, दिल तोड़ के बैठे हैं, उन्हें कोई कुछ नहीं कहता !
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चलो अच्छा हुआ, तस्वीर की चाह में, आज बन गए बुत तुम
कल जब हम कहें, लिखना है गजल, तब तुम्हें आना पडेगा !
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इंतज़ार पे इंतज़ार हम करते रहे, आज अफसोस हुआ
जब किसी ने कहा, ये तो तुम्हारी हमेशा की आदत है !
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न कोई कद, न ही कोई काठी है मेरी
न जाने क्यों, लोग मुझसे डरते हैं !
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छलकने दो, छलकाने दो, क्या फर्क पड़ता है
जिस्म ही तो है, कौन-सा ख़त्म हो जाएगा !
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कैटरीना अब तुम इतनी भी मत मटकाओ कमरिया
उफ़ ! किसी मासूम की, कहीं जान न निकल जाए !!
8 comments:
अंतिम पंक्ति पर तो आइटम सांग बन सकता है.
Wonderful....Bahut achha likha hai aapne...:))
कैटरीना अब तुम इतनी भी मत मटकाओ कमरिया
उफ़ ! किसी मासूम की, कहीं जान न निकल जाए !!
यह धंधा भी गंदा हे
वाह।
bohut khub :-)
waah... rahul ji sahi kahte hain... antim pankti par ek jordaar item song ban saktaa hai...
excellent....
कमाल की कट-री-ना..
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