Wednesday, February 9, 2011

उफ़ ! चिंता है, कहीं सरकार न उखड जाए !!

उसके साथ से सफ़र हसीं था, क्या कहना
काश ! आज वो मुझे फिर मिल गया होता !
...
कोई इन नेताओं पर उंगली उठाये 'उदय'
सच ! ये भ्रष्ट, देश लोकतंत्र की शान हैं !
...
कोई
अफसोस नहीं, मंहगाई भले रुके
उफ़ ! चिंता है, कहीं सरकार उखड जाए !
...
आशा, विश्वास, प्रेम, समर्पण, किरणें, शीतलता
सच ! आज मुझे एक नई सुबह की तलाश है !
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झूठ की टोपी, कितनी रंगीन हुई है 'उदय'
सच ! सत्य काले कफ़न सा लगने लगा है !
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जाने क्यों 'रब' खामोश है 'उदय'
कुछ घड़ी, सुकूं की ही तो चाही हैं !
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जिस्म तेरा कुछ जादू सा लगे है
सच ! आँखें मेरी मंत्रमुग्ध हुई हैं !
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किसी की आँख से आंसू झडे हैं
सच ! क़यामत की घड़ी सी लगे है !
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जनता को मूर्ख बनाना भी एक हुनर है
सच ! मान लो, नेता ज्ञानी हुए हैं !
...
सच ! भ्रष्ट नेताओं का संशय बढ़ रहा है
कहीं कोई उनकी 'बिजली गुल' कर दे !
...
लुटेरे, हत्यारे, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी
उफ़ ! लोकतंत्र के कर्णधार हुए हैं !!

5 comments:

arvind said...

लुटेरे, हत्यारे, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी
उफ़ ! लोकतंत्र के कर्णधार हुए हैं !! ...very nice.

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

वाह क्या बात है बेहतरीन...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सुन्दर भाव हमेशा की तरह.

राज भाटिय़ा said...

अजी उखडे नही यह सरकार, बस जमीन फ़टे ओर यह सारे कमीने उस मे समा जाये, ओर ऊपर फ़िर से जमीन सही हो जाये

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन...