Saturday, February 19, 2011

शीला की जवानी देखो, दोनों को बराबर मौक़ा दिया जाए !!

दीवानगी की कोई हदें, कोई सरहदें नहीं होतीं
सच ! हम तो चाहेंगे तुम्हें, फना होने तक !
...
प्यार
पाने के लिए, क्या क्या हमने ढोंग किये
उफ़ ! प्यार मिलते ही हम, ढोंगी से संत हो गए !
...
एक चेहरा हमें इतना भाया है 'उदय'
उफ़ ! हम तो बस चाहते फिरते हैं उसे !
...
तसल्ली, दिलासा, दुआ, इबादत, मोहब्बत
देख इत्मिनान से, हर जज्बे में बसर है मेरा !
...
अब क्या कहें, इस लिस्ट पे यकीं नहीं होता
जरुर कहीं आंकड़ों में, कुछ हेर-फेर हुई होगी !
...
आज तुम मिले, मुलाक़ात हुई, बात हुई
अनजाने में सही, आज बहुत खुशी हुई !
...
अकेले अकेले खा जाओगे, और हम चुप रहेंगे
नहीं, बिलकुल नहीं, आओ मिल बाँट के खाएं !
...
सच ! ये दोनों दल ही चोर चोर मौसेरे भाई हैं
काश कोई सौतेला भाई उभर कर जाए !
...
काश तुम सिर्फ 'हाट' होतीं, झुलस के मर जाते
उफ़ ! क्या 'कूल' हो, हमें ज़िंदा रखे हो !
...
मुन्नी बहुत बदनाम हो गई, और बदनाम किया जाए
शीला की जवानी देखो, दोनों को बराबर मौक़ा दिया जाए !!

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हमें वाकई अब सौतेले भाई की ही जरूरत है.

Bharat Bhushan said...

अच्छे विचारों की दो-दो पंक्तियाँ.

महेन्‍द्र वर्मा said...

प्यार पाने के लिए, क्या क्या न हमने ढोंग किये
उफ़ ! प्यार मिलते ही हम, ढोंगी से संत हो गए!

वाह, सच्चाई का निरूपण किया है आपने इन पंक्तियों में।
शुभकामनाएं।

राज भाटिय़ा said...

अकेले अकेले खा जाओगे, और हम चुप रहेंगे
नहीं, बिलकुल नहीं, आओ मिल बाँट के खाएं !
...
सच ! ये दोनों दल ही चोर चोर मौसेरे भाई हैं
काश कोई सौतेला भाई उभर कर आ जाए !
बहुत खुब जी सोतेला भाई नही इन का बाप ही इन्हे सीधा करेगा, बहुत सुंदर लगी गजल, धन्यवाद