Friday, February 18, 2011

कैटरीना की कमर ..... जवानी तार तार छलके है !!

जलने दो मुझे, जब तक जहन में शोले हैं
जाने कौन, कब, बुझा दे मुझे !
...
काश ! तेरे हुश्न की छलकती खुशबू, पंखुड़ी
कुछ पल के लिए, ठहर जाती आँखों में मेरे !
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क्या अजब दोराहा है, ईमान-बेईमान का
चला भी नहीं जाता, ठहरा भी नहीं जाता !
...
तमगे बटोरने की चाहत नहीं रही
यादें बिखेर के चला जा रहा हूँ मैं !
...
इंतज़ार करते रहें, कब तक करें, कुछ कह दो
सच ! अब तड़फ तेरी, हमसे देखी नहीं जाती !
...
उफ़ ! सारी रात, हम चहल कदमी करते रहे
तब ही तो आज की सब अलसाई सी लगे है !
...
तेरे दर पे टूटा-बिखरा पडा है दिल मेरा
सच ! अब उसे सहेजा भी नहीं जाता !
...
सच ! कोई कहे तो ठीक, कहे तो ठीक
हमें तो अब खामोशी भी अच्छी लगे है !
...
जब तक हम बेवफाई का सबब सीख पाते
उफ़ ! कोई हमें, चूना लगा के चला गया !!
...
कैटरीना की कमर, हाय ! क्या लचके है
सच ! जवानी तार तार छलके है !!

6 comments:

समयचक्र said...

बहुत खूब ... गजब की है कैटरीना ....

Dinesh Mishra said...

अति सुंदर....!!

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

बहुत खूब ...

कैटरीना की कमर, हाय ! क्या लचके है
सच ! जवानी तार तार छलके है !!

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर, धन्यवाद

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

nice...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत धारदार शेर हैं