बहुत हो गया, आज, कल, परसों, नरसों
तंग आ गये, अब देख लेंगे, अगले साल !
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दौलत तो समेट ली बहुत, पर शर्मसार हो गए
हे 'खुदा' ! मेरे गुनाह, मुझे माफ़ कर देना ! !
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डरता हूँ कुछ कहने से, कहीं जनता न भड़क जाए
इसलिए कहने से पहले, कुछ सुनाना चाहता हूँ ! !
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दालचीनी, आटादाल, आलूप्याज, नौंनमिर्ची
उफ़ ! मंहगाई ने सातवें आसमां पे बिठा दिया !
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बहुत हो गया झंझट, अभी करो, आज करो
फुर्सत नहीं, रहने दो, जाने दो, कल देख लेंगे !!
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गुनाहगारों पे रहमत, अब इतनी भी मत बख्श मेरे 'खुदा'
उफ़ ! कि वे बादशाहत भूल के, खुद को समझ बैठें 'खुदा' !
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सच ! खबर बन गई थी, खरीददार बेखबर था 'उदय'
वो तो कोई जिज्ञासु बिकवाल, खुद को बेच आया !!
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कुछ तो गुंजाईश रखो, इल्जाम लगाने वालो
सच ! स्कूल, कालेज, फितरती नहीं होते ! !
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कोई कह रहा था, कुछ ब्लोग, जो लम्बे समय से कोमा में हैं
वे ब्लोग भी शेयर बाजार के सेंसेक्स की तरह उछाल पर हैं !!
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मियां मकबूल फ़िदा हुसैन भी बेवजह फ़डफ़डा रहे हैं
कब्र में लटके हैं पैर, वेलेंटाईन डे का मन बना रहे हैं !!
5 comments:
मन पर कोई जोर नहीं।
कितना समझाया पर माने तब न... फिदा हो जाता है...
दिल तो बच्चा है जी...
दिल तो पागल है ...और हम उसके बारे में कुछ नहीं कर सकते
बूढ़ों का हक छीनने की कोशिश मत करो जी :)) कब्र में आदमी के पाँव होते हैं इश्क के नहीं.
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