Wednesday, February 9, 2011

जेपीसी ! पक्ष और विपक्ष दोनों अड़ियल हुए हैं ... !!

चमचागिरी सचमुच क्या हुनर है 'उदय'
उफ़ ! उनके लिए कोई छोटा-बड़ा नहीं है !
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पेड़, फोटो, रंग, हुनर, क्या खूब हैं
सच ! जादू चल गया फ़टाफ़ट !
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बस्ती में कोई दिखता नहीं जिस पे यकीं हो
सच ! चलो किसी दरख़्त के नीचे सो जाएं !
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उफ़ ! हम किसी की आदत को दावत समझ बैठे
संभाल नहीं पाए खुद को, और बगावत कर बैठे !
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तेरा हुश्न है ऐसा, छूने को मचलता है मन मेरा
आसमां हो लिए शायद, कुछ हाथ नहीं आता !
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सारा
देश भ्रष्टाचारियों के कारनामों से परेशां हुआ
आओ मिलकर उन्हें मिटाने के लिए प्रार्थना कर लें !
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काला हुआ है मुंह, अब कौन धोये
सच ! बुरी नजर से बचाता है !
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होस्नी जनभावनाओं को सर - आँखों पे ले लो
सच ! कहीं ऐसा हो, जनता नेस्तनाबुत कर दे !
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उदासी में इस कदर डूबे थे 'उदय'
सच ! कि खुद पर हंसी गई !
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स्नेह, प्यार, जीत, हार, अधिकार, दोगली, सरकार
उफ़ ! बहुत बुरा आलम है 'उदय', चहूँ ओर भ्रष्टाचार है !
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जेपीसी ! पक्ष और विपक्ष दोनों अड़ियल हुए हैं
सच ! नतीजा सब जानते हैं, टांय टांय फिस्स !

1 comment:

अरुण चन्द्र रॉय said...

समकालीन विषयों पर बढ़िया अभिव्यक्ति..