हमारे भ्रष्ट नेताओं में आईएसआई मार्का लगा है
सच ! ओरिजनल भ्रष्टतम भ्रष्ट फैक्ट्री के बने हैं !
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फेसबुक पर दोस्तों की संख्या, वाह वाह
सच ! हमें तो कोई परहेज नहीं है 'उदय' !
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अब इन पर सवाल क्यूं उठाएं 'उदय'
सच ! उत्तर तो हम सब जानते ही हैं !
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कुछेक के हौसले बुलंद हुए हैं 'उदय'
और कुछ बुलंदियों के हौसले पर हैं !
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हमने सुना है वे, बड़े मौकापरस्त हैं
पक्ष-विपक्ष दोनों के दिल अजीज हैं !
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अब समझे तेरे चेहरे पे निखार क्यूं है
सच ! महबूब की आँखों में डुबकी लगाईं है !
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सच ! हम रह गए अकेले, तेरी गिरफ्त में
कोई मौकापरस्त था जो छू कर चला गया !
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ढाई आखर प्रेम के हमें मीठे लगे हैं
मोटी किताबें देख मन खट्टे हुए हैं !
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उफ़ ! सच्चा प्रेम, अब दुर्लभ हुआ है
माया और मायावी जिस्म सुलभ हुए हैं !
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उफ़ ! जिसे पूजा और देवता माना
आज जाना, कोई पत्थर निकला !
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कोई बड़ा मगरूर हुआ है 'उदय', बैठ मीनार पे
सच ! नींव के पत्थर का जज्बा पूंछता है !
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सच ! जुर्म की दुनिया से मन भर गया है 'उदय'
आओ चलें मीडिया या पोलिटिक्स ज्वाइन कर लें !!
5 comments:
सच ! जुर्म की दुनिया से मन भर गया है 'उदय'
आओ चलें मीडिया या पोलिटिक्स ज्वाइन कर लें !! ...very right decision...
बेहतरीन...
उफ़ और सच ....बहुत अच्छी -अच्छी रचनाएँ हो रही हैं !
जरा मेरी ओर भी मुखातिब हों हुज़ूर !
सच ! जुर्म की दुनिया से मन भर गया है 'उदय'
आओ चलें मीडिया या पोलिटिक्स ज्वाइन कर लें !!
बहुत बेहतरीन रचना|
आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जय हो, अब यही समकक्ष रह गया है।
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