Friday, January 14, 2011

सच ! गुलामी में भी, ठाठ छन रही है !!

पॉलिसी, प्रीमियम, इंश्योरेंश, सब कुछ करा लिया
फिर क्लैम के लिए, मेरे सीने पे नस्तर चला दिया !
.....
छोड़ दिया कोई गम नहीं, अपना बनाया तो सही
तोड़ते फिरते हैं दिलों को, उन्हें कोई अफसोस नहीं !
.....
चलो फिर आज रेत का एक घरौंदा बना लें
कुछ देर ही सही, हम खुशियों को जगह दें !
.....
दे दे कर सलामी, खुश हो रहे हैं लोग
सच ! गुलामी में भी, ठाठ छन रही है !
.....
सच !मिट्टी, रेत के घरौंदे हम बनाते रहे
और उन्हें बारिश की बूंदों से बचाते रहे !
.....
तेरी
दुआओं ने सलामत रक्खा है मुझको
सच ! एक एक अदा का, कर्जदार हूँ मैं !
.....
चलो आज की सब इत्मिनान से सलाम कर लें
सफ़र में हमें, हर रोज दो-चार पहर मिलना है !
.....
सच ! हम तो उसी दिन हो गए थे फना
जिस रोज तुमने हमें देख मुस्काया था !
.....
तेरी आँखों ने कहा, कुछ चाव से
सोचे बिना ही हम तेरे संग हो लिए !
.....
ठीक
है, जाओ, पर याद रखना 'उदय'
घर में कोई, टकटकी लगाए बैठा है !
.....
प्रेम
, विश्वास, समर्पण, खुशियों की बुनियाद हैं 'उदय'
सच ! जिसको भी छेड़ोगे, मायूसी ही हाथ आयेगी !
.....
चाहत, कशिश, लम्हें और हम
चलो
कहीं बैठ के बातें कर लें !
.....
जब तक हमने पत्थर उछाले नहीं थे 'उदय'
कैसे कह देते आसमां में सुराख हमने किये थे !

15 comments:

Rahul Singh said...

बनी रहे हौसले की बुलंदगियां.

संजय भास्‍कर said...

पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका. बहुत गहरी सोंच है

मनोज कुमार said...

पॉलिसी, प्रीमियम, इंश्योरेंश, सब कुछ करा लिया
फिर क्लैम के लिए, मेरे सीने पे नस्तर चला दिया !

गुरु छा गए!!
एकदम ओरिजनल थौट!!
कमाल है भाई!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (दूसरा भाग)

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया रचना .... बधाई

उपेन्द्र नाथ said...

बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.......बिल्कुल सच्चाई बयां करती हुई.
नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?

प्रवीण पाण्डेय said...

नश्तरों से भरी दुनिया में जीना नहीं छोड़ना है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कैसे लिख लेते हैं इतना अच्छा .

debendra lal said...

सच ! गुलामी में भी, ठाठ छन रही है !!

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

श्याम कोरी उदय जी काफ़ी अच्छे शे'र पेश किए हैं आपने| बधाई|

ManPreet Kaur said...

bahut badiya likha hai aapne..
share karne ke liye shukriya..
Please visit my blog.

Lyrics Mantra
Banned Area News

Kailash Sharma said...

सच !मिट्टी, रेत के घरौंदे हम बनाते रहे
और उन्हें बारिश की बूंदों से बचाते रहे !

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

उदय भाई, जीवन के यथार्थ को गजल का जामा आप बखूबी पहना देते हैं।

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डा0 अरविंद मिश्र: एक व्‍यक्ति, एक आंदोलन।
सांपों को दुध पिलाना पुण्‍य का काम है?

डॉ टी एस दराल said...

प्रेम, विश्वास, समर्पण, खुशियों की बुनियाद हैं 'उदय'
सच ! जिसको भी छेड़ोगे, मायूसी ही हाथ आयेगी !

.....इन्ही पर डटे रहना ।
शुभकामनायें ।

Unknown said...

i like this portry.

Bharat Bhushan said...

अंदाज़ पसंद आया.