Thursday, January 13, 2011

उफ़ ! कहीं ऐसा न हो, वहां भी शैतानों की हुकूमत हो !!

मैं जब से डूबा हूँ, तेरी यादों के समुन्दर में यारा
कोई बताये भूल-भुलैय्या है, या जंतर-मंतर !
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'उदय' जाने, कौन बैठा है वहां, हिसाब-किताब की दुकां खोले
उफ़ ! कहीं ऐसा हो, वहां भी शैतानों की हुकूमत हो !
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ऐसी चाहत किस काम की 'उदय'
जिसे चाहें,उसे मालूम ही हो !
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तुम्हें चाहना, चाहते रहना, मेरी मोहब्बत है
गर कोई खुदगर्जी कहे, तो उस पर लानत है !
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दुष्ट कह लो, क्या करें मजबूर हैं
नेता सभी, सत्ता के नशे में चूर हैं !
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उफ़ ! क्या सितम है सर्द मौसम का 'उदय'
कुडियां सभी, बदन ढकने को हुई मजबूर हैं !
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चहूँ ओर है आलम मौकापरस्ती का
संजीदगी की बातें हजम नहीं होतीं !
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अब क्या करें, सरकार है चलानी तो पड़ेगी ही
कोई बताये, बिना घोटालों के चलती है क्या !
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ईमान, जिस्म, रंग, खुशबू, बाजार हो गए
कुछ बेचने वाले, तो कुछ खरीददार हो गए !
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कुछ बन गए अमीर, ईमान बेचकर
क्या हुआ जो हम गुमनाम हो गए !
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क्यों हम फ़िदा हुए, अंदाज पे तेरे
अब अपने वजूद को, ढूँढते हैं हम !
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खुशियों की चाह में, खिड़की तो खोल दी
अब कब तक रहें खड़े, तेरे इंतज़ार में !
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मन, आँखें, रात, हैं तेरे इंतज़ार में
अब शर्म करो, घूंघट को डाल कर !
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सुबह, शाम, दिन, रात, इंतज़ार किया
अब क्या कहें, तेरा वादा, वादा ही रहा !
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तेरे वादे, सफ़र, और इंतज़ार मेरा
चलो कोई बात नहीं, इन्तेहा ही सही !
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हाँ खबर है हमको, कडा पहरा है तुझ पे
कम से कम आँखों से, सलाम कह देते !
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क्या गजब अंदाज--मोहब्बत है 'उदय'
उफ़ ! चाहते भी रहे, और खामोश भी रहे !
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10 comments:

संजय भास्‍कर said...

कटु सत्य
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !

संजय भास्‍कर said...

आज की हकीकत बंया करते भाव..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अब क्या करें, सरकार है चलानी तो पड़ेगी ही
कोई बताये, बिना घोटालों के चलती है क्या !
.....
ईमान, जिस्म, रंग, खुशबू, बाजार हो गए
कुछ बेचने वाले, तो कुछ खरीददार हो गए !
.....

सभी अशआर एक से बढ़ कर एक ....सच और सार्थक

समय चक्र said...

बढ़िया प्रस्तुति. मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

सुन्दर शेर !

यथार्थ की अच्छी अभिव्यक्ति |

राज भाटिय़ा said...

लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

सत्य आक्रोश बन बह रहा है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हर एक शेर लाजवाब है..

मेरी सोच said...

बहुत सुन्दर उदय जी सुन्दर रचना

उपेन्द्र नाथ said...

uday ji , sach blog ke nam ke hi anusar kadua sach ........ sunder prastuti