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सुकूं-चैन कहीं दिखता नहीं, जमीं पर 'उदय'
न जाने क्यूं, फ़िर भी मैं जिहादी बन गया हूं ।
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सुकूं-चैन कहीं दिखता नहीं, जमीं पर 'उदय'
न जाने क्यूं, फ़िर भी मैं जिहादी बन गया हूं ।
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1 comment:
बहुत सही!
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