Saturday, August 28, 2010

मोहब्बतें


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फर्क इतना ही है यारा, तेरी-मेरी मोहब्बत में
कि तू खामोश रहती है, और मैं कुछ कह नहीं सकता

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8 comments:

Unknown said...

बहुत अच्छा लिखा है आपने. पढ़कर अच्छा लगा

kshama said...

Ye bhi khoob andaaz raha!

संजय भास्‍कर said...

हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति

vandana gupta said...

khoobsoorat bhaav.........behad umdaa.

Anonymous said...

बहुत बढिया!

1st choice said...

alll issss welllll

राज भाटिय़ा said...

शेर बहुत सुंदर, चित्र विलकुल बकवास

दिगम्बर नासवा said...

आँखों ही आँखों में बात हो जाए तो बोलना काहे का ....