इंसान अब, इंसान कम,
हैवान ज्यादा हो गया है
हर गली - हर मोड पर,
शैतान बन कर घूमता है
क्या मिला उसको
वो जब तक इंसा था
हैवान जब से बना
तो सरेआम हो गया है
भीख में मिलती नहीं
थीं रोटियां
लूटने निकला तो खूब
मिल रहीं हैं बोटियां
बद हुआ, बदनाम हुआ
और ज्यादा क्या हुआ
था निकम्मा वो बहुत
पर आज तो काम आ गया है
देखता है जब खुदी को
आँख के आईने में वो
शर्म क्या, शर्मसार वो
खुद के जहन में हो गया है
क्या हुआ इंसान को
जो हैवान ज्यादा हो गया है
इंसान अब, इंसान कम
शैतान ज्यादा हो गया है !
15 comments:
आम आदमी की सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाई
बढिया रचना !!
Insaani fitrathi kuchh aisi hai,ki,mauqa miltehi wo shaitan ban baithta hai...yah aaj kalka sach nahi,sadiyon se chala aa raha silsila hai!
शैतान .... हा हा हा हा .... हा हा हा हा ....
बिलकुल सही बात है अच्छी लगएए रचना। जय हिन्द।
आज के सत्य को बताती सटीक रचना
बहुत बढिया!
सही कहा ...!
सत्यवचन!
sach ka samna mat karwaiye sir.....dar lagta hai hahaha
क्या हुआ इंसान को
जो हैवान ज्यादा हो गया है
इंसान अब, इंसान कम
शैतान ज्यादा हो गया है !
बहुत अच्छी रचना , बधाई !!
मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर रचना
आप बहुत अच्छा लिखते हैं.
प्रभावशाली अभिव्यक्ति.
क्या हुआ इंसान को
जो हैवान ज्यादा हो गया है
इंसान अब, इंसान कम
शैतान ज्यादा हो गया है ,..
सच कहा है ... आज का दौर तो ऐसा ही है ... इंसान हैवान बन गया है ...
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