लिखो, खूब लिखो
पर पढेगा कोई नहीं
अगर पढेगा भी
तो अभिव्यक्ति
जाहिर नहीं करेगा
क्यों नहीं करेगा !
उसकी मर्जी
करे तो ठीक
न करे तो ठीक
कोई जोर-जबरदस्ती
तो है नहीं
वह भी अपनी
मर्जी का मालिक है
आखिर वह भी पाठक है
उसका भी स्वाभिमान है
मान है, मर्यादा है
अच्छा - बुरा जानता है
समझता है
कोई उस पर दवाब
कतई नहीं डाल सकता
दवाब डालना
उचित भी नहीं है
क्या उसने आप पर
दवाब डाला
लिखने के लिए
नहीं, कतई नहीं डाला
फिर आप कौन होते हो !
उसे बाध्य करने के लिए
अभिव्यक्ति के लिए
ज़रा सोचो
अगर पाठक न हों
तो आपके लिखने का
औचित्य क्या रहेगा
इसलिये लिखो
उसे पढ़ने दो
अपनी-अपनी
मर्जी के साथ
मौज के साथ
भावनाओं के साथ
संवेदनाओं के साथ
क्यों, क्योंकि वह
पाठक है !
6 comments:
फर्जी डाँट काँम
वाँह ,वाँह बहुत खूब
आपके ब्लाँग को मोबाइल ब्लाँग एग्रीगेटर "मोबाइलवाणी" मे जोङा गया । मोबाइल पर इंटरनेट उपयोग करने वालो के लिये मोबाइल वाणी सबसे अच्छा विकल्प है ।
Www.mobilevani.tk
Read full story>>
क्या उसने आप पर
दवाब डाला
लिखने के लिए
नहीं, कतई नहीं डाला
दबाव डाले या न डाले हम तो पढते ही हैं
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
Indirectly dabaab pad gaya...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
Ham to bina zor zabardati ke padhenge aur comment bhi karenge!!
बहुत सही लिखा...
Post a Comment