Tuesday, July 27, 2010

मोहब्बतें

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क्या थी मोहब्बतें, क्या जज्वात थे, फर्क था तो सिर्फ इतना
कोई हमें चाहता रहा, और हम किसी को चाहते रहे |

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2 comments:

कविता रावत said...

Sundar phool aur mohabaat kee bayanagi...

संजय भास्‍कर said...

क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......