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अब अंधेरों को, गुफाओं की जरुरत है कहाँ
गरीबों के बसेरों में, अंधेरे ही अंधेरे हैं |
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अब अंधेरों को, गुफाओं की जरुरत है कहाँ
गरीबों के बसेरों में, अंधेरे ही अंधेरे हैं |
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8 comments:
vaah kyaa sher mara hai....
वाह , वाह , वाह ! बहुत खूब ।
behad marmsparshi rachna
बहुत खुब जी, जबाब नही. धन्यवाद
बहुत खूब ....
बहुत खूब
वाह ! बहुत खूब ।
bahut badhiyaa !
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