... बहुत मीठापन है वाणी में ...
... पर सुना है मिठास ...
... अंत में छल कर जाती है ...
... क्यों होता है ऎसा ...
... मीठी चीजें क्यों देती हैं पीडा ...
... पता नहीं ये जीवन है ...
... यादें हैं कुछ मीठी ...
... तो कुछ कडवी हैं ...
... मीठा मुंह को भाता है ...
... और कडुवा तो बस कडुवा है ...
... खाना तो है मुश्किल ...
... पर हजम करना ...
... कहते हैं बुजुर्ग ...
...सुना है कडुवा होता तो है कडुवा ...
... पर तन मन को सुखदायी है ...
... क्यों हम दौड रहे हैं ...
... पीछे पीछे मीठे के ...
...क्यों गले नहीं लगाते कडुवे को ...
... कडुवी वाणी ... कडुवी है ...
... पर सदा रही सुखदायी है ...
... यही आज का सच है ...
... शायद अंतिम कडुवा सच है !!!
16 comments:
nice....
सच को स्वीकारने में इसका आभास होता है भाई, किन्तु यदि मानव हठधर्मितापूर्वक इसे स्वीकार करने से ही इंकार कर दे तो क्या कहें.
bahut umda prastuti
hum sirf meetha khaana jante hain, par sach se door bhagte hain
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत सही!!!!!!!!!!!!!
यह अंतिम कड़वा सच क्या है। क्या इसके बाद नहीं लिखोगे. यदि ऐसा है तो हमें ऐसा कड़वा सच नहीं चाहिए।
ब्लागरों गौर करिए... शायद श्यामकोरी उदय जी ब्लागिंग की दुनिया को छोड़कर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं।
ऐसा तो नहीं होने दिया जाएगा।
आपके पीछे कौन सा डाक्टर लगा है भाई।
@ राजकुमार सोनी
काहे फ़ालतु खाली पीली उदय भाई को टंकी पर चढा रहे हो। उन्होने कड़ुवे सच की बात कही है।
शायद कड़ुवा सच कहना बंद कर देंगे और मीठा सच कहेंगे, चासनी मे लपेट कर :)
लगे रहो भैया- हैइइइसा :)
कड्वे सच को सभी स्वीकारे,फिर देख जिन्दगी का मजा मानुस प्यारे! सुन्दर उदय भाई, नित नव ग्यान की बातो का उदय होना ही चाहिये।
चलो अब कुछ मीठा हो जाये
मीठी वाणी कडवा सच लपेट कर कह ही देनी चाहिए ...
मन पर बोझ तो ना रहे ...!!
badhiya sirji...
अरे कोई भाई उदय से भी तो पूछो कि उनके पीछे कौन सा झोलाझाप डाक्टर लगा हुआ है।
ललित शर्मा जी से सहमत
ये पापाजी आज फ़ीर प्रोफ़ाईल बदल कर बडे भईय्या बनकर घुम रहा है।
एक बुरका उतार कर दुसरा बुरका पहन लिया है, लेकीन भूल गया कि बुरका बदलने से सकल नहि बदलति।
एक बार समझाया था लेकिन समझ नहीं आया।
अब इसका भंडाफ़ोड़ करना ही पड़ेगा।
पापा (फ़र्जी डॉट कॉम की प्रोफ़ाईल आई डी)
http://www.blogger.com/profile/14322780361561853928
बडे भईय्या (फ़र्जी डॉट कॉम की प्रोफ़ाईल आई डी)देखिए दोनो एक ही है।
http://www.blogger.com/profile/14322780361561853928
जीवन का अंतिम काड़ुवा सच .... सत्य बयानी ... बहुत अच्छी रचना है ...
... कडुवी वाणी ... कडुवी है ...
... पर सदा रही सुखदायी है ...
... यही आज का सच है ...
... शायद अंतिम कडुवा सच है !!!
Sach kahne me aur use sweekar karne me bahut dhairya chahiye..
कडवा और मीठा --दोनों का अहसास तो एक ही अंग से होता है , जिह्वा से ।
Post a Comment