Tuesday, June 22, 2010

ब्लागिंग का शौक

"बी" कंपनी का बॉस ... टी.व्ही. देखते देखते भडक उठा ... ये "गोली" इधर आ ... हां बॉस ... ये ब्लागिंग क्या है ... कोई नया गेंग बनेला है क्या बॉस ... अबे घोंचू ... बुला सबको जितने हाजिर हैं ... हां बॉस ... गेंग के सारे सदस्य इकट्ठे ... सारे टेंशन में ... क्या हो गया बॉस को ... हां बॉस किसी को टपकाना है क्या ... ट्पकाना-पपकाना छोड ... ये बता "ब्लागिंग" क्या होती है ... अभी टी.व्ही. पे समाचार आ रईला था कि ... वो अपुन का बुडु अमिताभ बच्चन "ब्लागिंग" स्टार्ट कर लेईला है ... क्या है रे ये ... कोई बतायेगा ... बास अपुन को नईच मालुम ... अबे साले तुम लोग घोंचू के घोंचूस रहोगे ... चल चल फ़ोन लगा बुडु को ...

... अमिताभ बच्चन को फ़ोन ... स्पेशल नंबर से ... फ़ोन की घंटी बजी ... अमिताभ टेंशन में ... मन में सोचते हुये ... ये भाई काय को फ़ोन कर रेला है ... हां भाई आदाब ... आदाब बडे मियां ... कहां हो, कैसे हो ... बस मुम्बई में, कुछ खास नहीं ... बडे मियां ये बताओ ... ये ब्लागिंग का कौन सा कारोबार शुरु किया है ... वहां अपुन को इंट्री करने को मांगता ... छोडो न भाई ... फ़ालतु, बकवास है ... टोटल टाईम पास है ... नहीं बडे मियां ... जब तुम स्टार्ट किऎला हो तो अपुन को भी करनाईच पडेगा ...

... भाई "ब्लागिंग" में बहुत लोचा है ... गुटबाजी है ... पसंद/नापसंद ... हवाले/घोटाले ... टीका/टिप्पणी ... अनामी/बेनामी ... बहुत लफ़डा है वहां ... आपके लायक जगह नहीं है ... वहां का साला हिसाब - किताब ही समझ नहीं आता है ... अपुन के जैसा नामी-गिरामी आदमी ... बोले तो अमिताभ बच्चन बिग बी" ... अपुन का कोई नंबर नहीं है वहां पर ... पर ये लोचा करता कौन है वहां ... जहां आपका भी दाल नहीं गल पा रहा है ... छोडो न भाई ...

... अब छोडने का नई बडे मियां ... अब तो "ब्लागिंग" करनाईच पडेगा ... अपुन देखता है साले को ... वहां कौन कौन चिरकुट दुम हिला रहेला है ... आप तो एक "ब्लाग" बना दो मेरे नाम का ... फ़िर देखते हैं ... तो ठीक है भाई शाम को चार बजे आकर बना देता हूं ... ठीक है बडे मियां ... खुदा हाफ़िज ... अबे ये "गोली' इधर आ ... भेज दो-चार "शूटर" पता लगा के आयेंगे कौन कौन ब्लागिंग में ऊपर चल रहेला है और उनका फ़ोन-वोन नंबर ... पूरा अता-पता ले के आयेंगे ... फ़िर देखते हैं ब्लागिंग क्या बला है ... कौन कौन चिरकुट लोग है साला जो बडे मियां को पीछे ढकेल कर रखेला है .... ब्लागिंग कोई टेडी-मेडी चीज है क्या रे ... चल देखते हैं शाम को ... !!!

(काल्पनिक कहानी ... डान स्पेशल सीरीज पर एक पुस्तक "आखिरी सुपाडी" लिखने की योजना है ... साथ ही साथ इस स्टोरी पर "डान" फ़िल्म बनाने पर भी चर्चा चल रही है)

8 comments:

kshama said...

Ha,Ha...! Bahut khoob!

1st choice said...

अंकल ऎ क्या माजरा है मुझे भी समझाएं हा हा हा ।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हा हा हा
ब्लागिंग की भूल भूलैया भाई लोग को भी समझ नई आने का।

निर्मल हास्य गजब का है।

Anonymous said...

बहुत खूब

पापा जी said...

भाई लोग को तो देख के चल।

Randhir Singh Suman said...

nice

राजीव तनेजा said...

बढ़िया व्यंग्य

1st choice said...

अंकल अंकल बडे मियां से मुझे मिलना है।