Kumar Jaljala said...
आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.
.... क्या कुमार जलजला डरपोंक है ... जो दिल्ली छोडकर भाग रहा है !!!
10 comments:
जनाब उदयजी
जलजला डरपोक नहीं संवेदनशील है. वह अपनी वजह से किसी को दुखी नहीं देख सकता. सम्मेलन सफल हो यही शुभकामनाएं.
कुमार जलजला
मेरा तुमसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है...बात सिर्फ उसूलों की है...तुम्हारी टिप्पणियों से साफ़ है कि कुछ भी हो तुम्हारे लेखन में प्रवाह है, बांधने की ताकत है...फिर तुम क्यों पहचान छुपा कर ये सब कर रहे हो...सबसे पहले अपना ब्लॉग बनाओ और वहां से अपनी बातें सबके सामने रखो...फिर कोई वजह नहीं कि तुम पर कोई ऊंगली उठाए...लेकिन पहचान छुपा कर टिप्पणियों के माध्यम से भ्रम फैला देना, मेरी नज़र में सर्वथा अनुचित है...ये तुम भी सही मानोगे कि किसी दूसरे पर तुम्हारी वजह से आंच न आए...फिर क्यों ये कहकर कि मैं मीट मे रहूंगा और कोई मुझे पहचान भी नहीं पाएगा...इससे तो मीट में पहुंचने वाले हर शख्स को परेशानी होती अलग और विवाद को न्यौता मिल जाता अलग...तुम अपना ब्लॉग बनाओ, फिर सबसे पहले तुम्हारा स्वागत करने वाला मैं हूंगा...
जय हिंद...
खुशदीप सहगल ji sE sahmat....
bhala yadhi kuch achha kar gujarne ka maadda hai to phi duniya se kyun bhagne... aur bhaagkar insaan kitne door jaa paata hai ..
खुशदीप सहगल ji sE sahmat....
bhala yadhi kuch achha kar gujarne ka maadda hai to phi duniya se kyun bhagne... aur bhaagkar insaan kitne door jaa paata hai ..
@Kumar Jaljala
... संवेदनशील व्यक्ति डरपोंक नहीं होता ... हिम्मत करो ... कदम बढाओ और अपना परिचय "रू-ब-रू" होकर दो ... आज दिल्ली ब्लागर मिलन समारोह में उपस्थित होकर बता दो कि कुमार जलजला डरपोंक नहीं है !!!!
nice
जलजला जी
आपका यह निर्णय आपका वैयक्तिक निर्णय है. वैसे ब्लागर मिलन भी वह स्थल हो सकता था जहाँ आप अपने आपको सबसे रूबरू करवा सकते थे और सार्थक रूप से ब्लागजगत में स्वयं के लेखन का ऐलान कर सकते थे.
पहचान बताना न बताना आपका निर्णय भले ही हो पर सार्थकता को आगे प्रमाणित करेंगे इसकी उम्मीद है.
खुशदीप ने बड़ी सही बात कही है ।
अविनाश साहब, खुशदीपजी, वर्मा साहब, दरालजी
मैं पहली बार तो सबके सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए अपना परिचय देना चाहता था लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं है. अब मेरा लौटना संभव नहीं है. मैं दिल्ली से काफी दूर निकल आया हूं. फिलहाल एक ढाबे में बैठकर दाल-रोटी खाने की तैयारी कर रहा हूं. कल रात से कुछ नहीं खाया था, सोचा था आप लोगों के साथ मिलकर दो रोटी ज्यादा खा लूंगा लेकिन... चलिए दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम.
कृपया जलजला को डरपोक लिखकर और गाली मत दीजिए. मैं भी इंसान ही हूं.
@Kumar Jaljala
...जलजला वापस जाओ ... दिल्ली में आज तुम्हें "एंग्री यंग ब्लागर" के रूप में कदम रखना है ...!!!
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