Saturday, May 22, 2010

.... "कुमार जलजला" फ़्राड टिप्पणीकार है !!!

ब्लागदुनिया में विगत कुछ समय से Kumar Jaljala नाम का फ़्राड टिप्पणीकार सक्रिय है जो बे-वजह ही किसी भी ब्लाग पर टिप्पणी दर्ज कर "न्युसेंस" को जन्म दे रहा है और तो और कभी-कभी तो उसकी भाषा ही असभ्य रहती है ... साथ-ही-साथ अभी कुछ दिनों पहले ही उसने "महिला ब्लागर" की प्रतियोगिता कराने संबंधी टिप्पणी दर्ज कर एक नये विवाद को जन्म देने का भरसक प्रयास किया और बाद में क्षमा याचना करते भी घूमते दिखाई दिया ... और तो और विगत दिनों वह एक "धुरंधर ब्लागर" के स्वप्न में आकर भी परेशान करते देखा गया ।

.... अभी-अभी उसकी एक ताजा टिप्पणी दिख रही है जिसमें उसने फ़िर से सुर्खियों में बने रहने का प्रयास किया है उसकी "ताजा-तरीन" टिप्पणी के अंश (जो
दिल्ली के ब्लागर इंटरनेशनल मिलन समारोह के संबंध में हैं) इस प्रकार हैं : - " .... मैं कल के ब्लागर सम्मेलन में हर हाल में मौजूद रहूंगा लेकिन यह मेरा दावा है कि कोई मुझे पहचान नहीं पाएगा..... यह तय है कि मैं मौजूद रहूंगा. आपकी सुविधा के लिए बताना चाहता हूं कि मैं लाल रंग की टी शर्ट पहनकर आऊंगा....." ...... देख के ब्लागर साथियों कहीं धोखे-धडाके "लाल टी-शर्ट" पहन कर मत पहुंच जाना ... कहीं ऎसा न हो कि "लेने-के-देने" पड जायें .... !!!

20 comments:

राजकुमार सोनी said...

विचारणीय पोस्ट। वैसे शायद खुशदीप जी ने भी अपनी टिप्पणियों के जरिए यह चिन्ता जताई है।

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

लाल टी शर्ट? ये थाईलैंड का ज़लज़ला तो नहीं है?

अविनाश वाचस्पति said...

जलजला को आने दो
जला को जला देंगे
जल को काम में ले लेंगे
कम से कम मिलन में
जल की कमी तो नहीं रहेगी।

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

सही है बौस! अभी ब्लौगिंग को और कई नाटक देखने बाकी हैं!:)

Udan Tashtari said...

कल लोगों को इन्तजार रहेगा उनका. :)

राजीव तनेजा said...

अब तो लाल टी शर्ट पुरानी अलमारी से खोज कर निकालने ही होगी...वो कहते हैं ना कि बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा? :-)

36solutions said...

धुरंधर ब्लागर और पहुचा हुआ फकीर ही ज़लज़ला ला सकता है. जय हो !

दिलीप said...

waah Avinash ji kya baat kahi...

Khushdeep Sehgal said...

@कुमार जलजला
यार तुम्हारी हरकतों से तो उस ब्लॉगर की याद आ गई जो आईपीएल के पहले एडीशन में कोलकाता नाइटराइडर्स की अंदर की बातें ब्लॉग पर लिखता था...सब सोचते रहे वो ब्लॉगर कौन सा खिलाड़ी है, लेकिन उसकी पहचान आखिर तक नहीं खुल पाई...इसी तरह अब तुम कह रहे हो कि कल तुम ब्लॉगर्स मीट में मौजूद रहोगे...लेकिन तुम्हे कोई पहचान नहीं पाएगा...ये बात कह कर तुमने मेरे सामने एक धर्मसंकट पैदा कर दिया है...इस तरह तो ब्लॉगर्स मीट में जो जो ब्लॉगर्स भी पहुंचेंगे, उन सब पर ही शक किया जाने लगेगा कि उनमें से ही कोई एक कुमार जलजला है...मान लीजिए पच्चीस-तीस ब्लॉगर्स पहुंचते हैं...वैसे ब्लॉगवुड में इस वक्त पंद्रह से बीस हज़ार ब्ल़ॉगर्स बताए जाते हैं...यानि इन पंद्रह से बीस हज़ार से घटकर कुमार जलजला होने की शक की सुई सिर्फ पच्चीस-तीस ब्लॉगर्स पर आ जाएगी...तो क्या तुम इस तरह कल की मीटिंग में मौजूद रहने वाले दूसरे ब्लॉगर्स के साथ अन्याय नहीं करोगे...अविनाश वाचस्पति भाई से भी कहूंगा कि इस विरोधाभास को दूर किया जाए, अन्यथा पूरे ब्लॉगवुड में गलत संदेश दिया जाएगा...

जय हिंद..

मनोज कुमार said...

इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है इन्हें?

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

सभी ब्लागरों से चन्दा इकट्ठा करके किसी अच्छे से जासूस की सेवाएं ली जाए जो कि पता करके बताए कि ये जलजला कौन है :-)

Girish Kumar Billore said...

इस तरह का आदमी नही किसी का मुखौटा है

राज भाटिय़ा said...

कल मजा ले जी , ओर फ़िर फ़टा फ़ट रिपोर्ट मय चित्रो के दे, मेरी बहुत सारी शुभकामनाये कल की सफ़लता के लिये

डा० अमर कुमार said...



यदि महाशय प्रगट भी हो जायेंगे, तो क्या उपस्थित ब्लॉगर्स को दर्शन लाभ से मोक्ष मिल जायेगा ?
न जाने क्यों सिनिकल माइँड के एक स्पिल्ट परसॉनेलिटी को इतना महत्व दिया जा रहा है ?
अगर मेरी मानिये तो सभी लोग लाल टी-शर्ट पहन कर जायें ।
वह दिग्भ्रमित होगा और आप सब भी,
" लाली देखन मैं चली, जित देखूँ तित लाल " की जद्दोजहद से बच जायेंगे !

Randhir Singh Suman said...

nice

Kumar Jaljala said...

आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.

दीपक गर्ग said...

हम जैसे आम ब्लोगेर्स को तो जलजला साहब प्रकरण से कोई सारोकार नहीं,परन्तु कुछ 'खास'
लोगो को इसी बात में ही दिलचस्पी है.जो भी है मज़ा आ रहा है.

Kumar Jaljala said...

मैं फिलहाल जिस ढाबे में दाल-रोटी खाने की तैयारी कर रहा हूं वहां रखे हुए एक पुराने से रेडियों पर एक गाना बज रहा है-नफरत की दुनिया को छोड़कर प्यार की दुनिया में खुश रहना मेरे यार.
गाना बड़ा अच्छा है.
आप सब लोग प्रेम से रहो.
मुझे फ्राड लिखने वाले भाई.. मैंने कौन सी धोखाधड़ी की है. किसका पैसा खाया है.किसे धोखा दिया है. अरे भाई मैं भी इंसान हूं तुम्हारी ही तरह जिसका एक दिल है जो धडकता है. कोई बताएगा मेरा अपराध क्या है.

Khushdeep Sehgal said...

@कुमार जलजला,
जहां तक मुझे ध्यान पड़ता है, पहले एक बार सतीश सक्सेना भाई ने तुमसे मुलाकात करने की पेशकश की थी...आज मैं तुमसे उसी पेशकश को दोहरा रहा हूं...सतीश भाई अभी विदेश में हैं...इस महीने के अंत तक लौटेंगे...उसके बाद कभी भी आकर मिलो...दावा तो नहीं करता लेकिन कोशिश ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी सोच
बदल जाएं...दुनिया को पॉजिटिवली देखोगे सब पॉजिटिव दिखेगा...नेगेटिवली देखोगे तो सब नेगेटिव देखेगा...

दुनिया इतनी भी बुरी नही है यार...

जय हिंद...

कडुवासच said...

@कुमार जलजला
.... हां तुम अपराधी हो ... पूछो क्यों ... क्योंकि अपराधी ही लुके-छिपे भटकते रहते हैं ... जाओ दिल्ली ब्लागर मिलन में पहुंचे और खुद "रू-ब-रू" होकर परिचय दो ... जय हो ...जय हो ..!!!