"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
वाह उदय जी ,आज फिर बहुत दिन बाद बाजा फार दिए हो आप ,धाँसू कविता !!!!
बढिया रचना...
sunder rachna
Yaad aaye kuchh beete din..ab lagta hai,wo sach the ya the sapne?
अजी आप की रचना पढ कर कुछ कुछ होता है....
बढिया रचना.
बढिया रचना...,vaise prem vaasanaa ko alag alag karate to acchaa thaa, yedi prem upaasanaa kar den to behtar.
सुन्दर रचना
आपकी रचना है कमालशायद भाव बयान करने के लिये शब्दों की उतनी जरूरत ही नहीं हैबहुत खूब
अब क्या बोलूं.. सिर्फ इतना ही बोल सकता हूं कि हर विषय में मास्टरी है आपकी।
nice !
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13 comments:
वाह उदय जी ,आज फिर बहुत दिन बाद बाजा फार दिए हो आप ,धाँसू कविता !!!!
बढिया रचना...
sunder rachna
Yaad aaye kuchh beete din..ab lagta hai,wo sach the ya the sapne?
बढिया रचना...
अजी आप की रचना पढ कर कुछ कुछ होता है....
बढिया रचना.
बढिया रचना...,vaise prem vaasanaa ko alag alag karate to acchaa thaa, yedi prem upaasanaa kar den to behtar.
सुन्दर रचना
आपकी रचना है कमाल
शायद भाव बयान करने के लिये शब्दों की उतनी जरूरत ही नहीं है
बहुत खूब
अब क्या बोलूं.. सिर्फ इतना ही बोल सकता हूं कि हर विषय में मास्टरी है आपकी।
nice !
सुन्दर रचना
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