Friday, March 26, 2010

हालात ...

तेरी एक निगाह ने
फ़िर तेरी मुस्कान ने
कुछ कहा मुझसे

क्या कहा-क्या नहीं
मैं समझता जब तक
तेरे 'हालात' ने कुछ कह दिया मुझसे

इस बार शब्द सरल थे
पर 'हालात' कठिन थे

वक्त गुजरा, 'हालात' बदले
फ़िर तेरी आंखों ने कुछ कहा मुझसे
हर बार कुछ-न-कुछ कहती रहीं

क्या समझता - क्या नहीं
क्या मैं कहता - क्या नहीं

एक तरफ़ तेरी खामोशी
एक तरफ़ मेरी तन्हाई
खामोश बनकर देखते रहे
तुझको - मुझको
मुझको -तुझको ।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया, श्याम भाई. बेहतरीन!