"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
छोड दूँ मैं मैकदा, क्यों सोचते होकौन है बाहर खडा, जो थाम लेगा।
KHUB SHE'R KAHI AAPNE...KHUL KE DAAD IS SHE'R PE...ARSH
दो लफ्जों में सच बहुत ही बढिया.....
sahi hai ..soch samajh kar hi faisla karna chahiye....
वाह साहिब बहुत बढ़िया / बाहर हमको कौन सम्हालने वाला खडा है ?अगर मैंने मयकदा छोड़ दिया तो ?
bahut umda.
Post a Comment
5 comments:
KHUB SHE'R KAHI AAPNE...KHUL KE DAAD IS SHE'R PE...
ARSH
दो लफ्जों में सच बहुत ही बढिया.....
sahi hai ..soch samajh kar hi faisla karna chahiye....
वाह साहिब बहुत बढ़िया / बाहर हमको कौन सम्हालने वाला खडा है ?अगर मैंने मयकदा छोड़ दिया तो ?
bahut umda.
Post a Comment