Wednesday, May 6, 2009

शेर - 33

रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।

7 comments:

Mumukshh Ki Rachanain said...

रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।

भाई उदय जी आपको तो ऐसी शिकायत कम से कम मुझसे तो नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मैं तो बराबर आपके ब्लॉग पर आ कर बयां कर चला जाता हूँ...............

सुन्दर शेर. बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त

mark rai said...

dil se aawaaj nikalti hai ....to dur talak jati hai..

BrijmohanShrivastava said...

दिल की बात होंठों पे लाई नहीं जाती

"अर्श" said...

bahot khub bahot khub... kahaa hai ishque me nazaren zubaan hoti hai...


badhaayee

arsh

अमिताभ श्रीवास्तव said...

badhiya he janaab/
baya kar di to tamnna nahi rahegi lihaza zahan me hi hoti he/

khoob likha he aapne/

रश्मि प्रभा... said...

waah,bahut khoob

रविकांत पाण्डेय said...

बहुत सुंदर शेर है। बधाई।