"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकरक्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।
रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकरक्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं। भाई उदय जी आपको तो ऐसी शिकायत कम से कम मुझसे तो नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मैं तो बराबर आपके ब्लॉग पर आ कर बयां कर चला जाता हूँ...............सुन्दर शेर. बधाई.चन्द्र मोहन गुप्त
dil se aawaaj nikalti hai ....to dur talak jati hai..
दिल की बात होंठों पे लाई नहीं जाती
bahot khub bahot khub... kahaa hai ishque me nazaren zubaan hoti hai...badhaayeearsh
badhiya he janaab/baya kar di to tamnna nahi rahegi lihaza zahan me hi hoti he/khoob likha he aapne/
waah,bahut khoob
बहुत सुंदर शेर है। बधाई।
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7 comments:
रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।
भाई उदय जी आपको तो ऐसी शिकायत कम से कम मुझसे तो नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मैं तो बराबर आपके ब्लॉग पर आ कर बयां कर चला जाता हूँ...............
सुन्दर शेर. बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
dil se aawaaj nikalti hai ....to dur talak jati hai..
दिल की बात होंठों पे लाई नहीं जाती
bahot khub bahot khub... kahaa hai ishque me nazaren zubaan hoti hai...
badhaayee
arsh
badhiya he janaab/
baya kar di to tamnna nahi rahegi lihaza zahan me hi hoti he/
khoob likha he aapne/
waah,bahut khoob
बहुत सुंदर शेर है। बधाई।
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