"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैंअकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।
फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैंअकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।वह भाई जान , क्या बात कह दी!!!!!!!!!!!!!!!पर लगता है आप अकेले हैं तो हमें इतनी ख़ूबसूरत शेर तो पढने, गुनगुनाने को तो मिल रहे हैं...........चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत खूब है शेर.....
फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैंअकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं......dil ke taar ko baja gaya aapaka yah sher... man ko dukha diya aapka yah sher... sochta hoon saare armaan jaga diya yah aapka sher....
उम्दा शेर /अकेले तुम ,अकेले हम ,न तुम तुम हो न हम हम है
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4 comments:
फूलों में जबां तुम हो,
खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो,
अकेले हम तो क्या हम हैं।
वह भाई जान , क्या बात कह दी!!!!!!!!!!!!!!!
पर लगता है आप अकेले हैं तो हमें इतनी ख़ूबसूरत शेर तो पढने, गुनगुनाने को तो मिल रहे हैं...........
चन्द्र मोहन गुप्त
बहुत खूब है शेर.....
फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं......
dil ke taar ko baja gaya aapaka yah sher... man ko dukha diya aapka yah sher... sochta hoon saare armaan jaga diya yah aapka sher....
उम्दा शेर /अकेले तुम ,अकेले हम ,न तुम तुम हो न हम हम है
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