Monday, September 11, 2017

अनुभव व शोध

प्रिय मित्रों

वैज्ञानिक चिकित्सा हो ...
या आयुर्वेदिक चिकित्सा हो ...
या हों दादा, दादी, नाना, नानी के घरेलु उपचार ...

लगभग सभी उपचार अपने-अपने अनुभव व शोध पर आधारित हैं, .. कहीं शोध ज्यादा तो अनुभव कम है ... कहीं अनुभव ज्यादा तो शोध कम है .... तो कहीं-कहीं शोध और अनुभव दोनों का पर्याप्त मिश्रण है ....

मेरे अनुभव अनुसार वह उपचार श्रेष्ठ है जहां अनुभव और शोध दोनों का पर्याप्त मिश्रण है .... व्यवहारिक अनुभव की कमी की स्थिति में आधुनिक वैज्ञानिक उपचार भी उतना कारगर नहीं है जितना कारगर घरेलु उपचार है ....

यहाँ मेरा आशय एक उपचार को श्रेष्ठ और दूसरे को बेकार बताना नहीं है ... मेरा आशय यहां अनुभव व शोध से मिश्रित उपचार को श्रेष्ठता की श्रेणी में रखने व तौलने से है ... जहाँ किसी एक चीज की भी कमी है वहाँ श्रेष्ठता की भी कमी है .. ऐसा मेरा मानना है, मेरा अनुभव है ....

लगभग सभी उपचार समान तथ्यों पर आधारित हैं ... उदाहरण के तौर पर यदि 'शुगर' की बीमारी है तो सभी उपचार - अंग्रेजी, देशी, घरेलु, इत्यादि ... सभी हमें मीठी वस्तुएँ खाने से रोकते हैं तथा ऐसी दवा देते हैं जो हमारे शरीर में शुगर की उत्पन्नता को रोकें .....

जहाँ तक मेरा मानना है अर्थात मैंने अनुभव किया है .. लगभग सभी उपचार के तरीकों में शामिल होने वाली दवाइयों में रोग को मारने वाले तत्वों का मिश्रण लगभग एक समान ही होता है ... कहीं थोड़ा ज्यादा तो कहीं थोड़ा कम ....

यहाँ मेरा आशय 'कान को पकड़ने' से है ... कोई 'कान' को सीधा पकड़ रहा है तो कोई हाथ घुमा कर पकड़ रहा है .... कोई 'कान' को जोर से पकड़ रहा है तो कोई हल्के से ..... उपचार के तरीके व तत्व ( इंग्रीडिएंस, फार्मूले ) लगभग एक समान हैं ......

समय पर उपचार के लिए पहुँचना .. उपचार हेतु श्रेष्ठ माध्यम प्राप्त होना .... श्रेष्ठ व सर्वोत्तम उपचार के लिए आवश्यक हैं .... लापरवाही बीमार व्यक्ति और उपचार कर्ता दोनों के लिए घातक है .....

लापरवाही ... उफ्फ ......
स्वस्थ्य रहें, खुश रहें ... जान है तो जहान है ..... !

~ श्याम कोरी 'उदय'

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