जब हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते हैं
तब अंधकार .. हमें ...
रोकने ..
पकड़ने ..
जकड़ने ...
की पूरी कोशिश करता है
वह कभी नहीं चाहता
कि -
हम कभी प्रकाश में जाएँ ... प्रकाश में पहुंचें ....
वजह ... ?
कुछ ख़ास नहीं .. बस वैसी ही है
जैसे ...
बुराईयाँ .. हमें ... अच्छाईयों की ओर बढ़ने नहीं देतीं
शैतानी शक्तियाँ.. हमें दैवीय शक्तियों की ओर बढ़ने नहीं देतीं
बस ... कुछ ऐसा ही दस्तूर है ... कुदरत का
गर .. हमें ...
सदैव ... प्रकाश में ...
अच्छाईयों में ... दैवीय आभा मण्डल में .. रहना है तो
हमें ... सदैव .. सजग रहना होगा
नहीं तो ...
हम .. कभी-भी ...
अंधकार से .. मुक्त नहीं हो पाएंगे ... ???
तब अंधकार .. हमें ...
रोकने ..
पकड़ने ..
जकड़ने ...
की पूरी कोशिश करता है
वह कभी नहीं चाहता
कि -
हम कभी प्रकाश में जाएँ ... प्रकाश में पहुंचें ....
वजह ... ?
कुछ ख़ास नहीं .. बस वैसी ही है
जैसे ...
बुराईयाँ .. हमें ... अच्छाईयों की ओर बढ़ने नहीं देतीं
शैतानी शक्तियाँ.. हमें दैवीय शक्तियों की ओर बढ़ने नहीं देतीं
बस ... कुछ ऐसा ही दस्तूर है ... कुदरत का
गर .. हमें ...
सदैव ... प्रकाश में ...
अच्छाईयों में ... दैवीय आभा मण्डल में .. रहना है तो
हमें ... सदैव .. सजग रहना होगा
नहीं तो ...
हम .. कभी-भी ...
अंधकार से .. मुक्त नहीं हो पाएंगे ... ???
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