Saturday, June 25, 2016

मेरा देश .. बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है ???

कल बहुत शांत था माहौल
शाम से देर रात तक
कहीं भी
गाली-गलौच, झूमा-झटकी, पटका-पटकी
का शोर नजर नहीं आया,

गलियाँ, चौपाल, नुक्कड़, बस अड्डे
लगभग ... सब जगह
शांत थे
और तो और
दारु के अवैध अड्डे भी चिट्ट-पोट नहीं कर रहे थे,

कहीं से भी
अदधि, पउऐ, गिलास ... के लुढकने
टूटने ...
फूटने ...
की आवाज भी सुनाई नहीं दी,

अमन, चैन, भाईचारे,
की उम्मीदें
अभी भी ज़िंदा है,

भाइयों का झगड़ा
शांत हो जाएगा, वे फिर से गले मिलेंगे
दीवाली मनेगी, ईद मनेगी,

फिर से ... पूरे गाँव में
रंग-गुलाल खेले जाएंगे, सेवईंयाँ बांटी जाएंगी
ऐसा ... जान पड़ रहा है ?
मेरा देश .. बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

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