Sunday, May 8, 2016

दुःख के बादल ...

दुःख के बादल बिखरे हैं
चहूँ ओर ........ आकाश में,

और हम ...
सुख की छतरी
छोटी-छोटी

पकड़ हाथ में
दौड़ रहे हैं ... दौड़ रहे हैं,

जीवन की आपा-धापी में
हम ...
कुछ पकड़ रहे ... कुछ छोड़ रहे हैं,

दुःख के बादल बिखरे हैं
चहूँ ओर ........ आकाश में !!

~ श्याम कोरी 'उदय'

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