Wednesday, September 24, 2014

ख्याल ...

'खुदा' जाने, किस राह पर, किस मोड़ पर हैं 
मंजिलों से अब कोई वास्ता नहीं है हमारा ? 
… 
कभी कभी ही सही, मिल लिया करो यारो 
कुछ ख्याल अच्छे-बुरे तो होते हैं सभी के ?
… 
चाहतों के दिये उधर भी जलते हैं इधर भी जलते हैं 
पर, कुछ भी कहने से दोनों डरते हैं 
देखो ख्याल हमारे कितने मिलते हैं ??
… 
आज, रंज करें भी तो हम किस बात का करें 
उन्ने पहले ही कह दिया था हमपे यकीन मत करना ?
… 
अब उसे दुनाली कहो या ट्वेल्व-बोर कहो 
वो जब भी चलेगी तो जान लेके ही रहेगी ? 
… 

2 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

सटीक ख्याल !
नवरात्री की शुभकामनाएं
शम्भू -निशम्भु बध भाग २

Manoj Kumar said...

सुन्दर रचना !
कृपया मेरे ब्लॉग पर आये और फोल्लोवेर बनकर अपने सुझाव दे