यकीनन, तुम्हारी दोस्ती पे यकीन है हमें
पर, दोस्ती के भी तो कुछ उसूल होते हैं ?
…
सच ! घुप्प अंधेरा…छा गया है बारिशों से
सिर्फ, कड़कडाती बिजलियों की रौशनी है ?
…
बा-अदब… क़ुबूल है,… सलाम हुजूर का
मौसम-औ-बरसात,…दोनों का शुक्रिया ?
…
वैसे उन्ने, सौ टका टंच बात कही है
विरोध तो,…. आम बात है 'उदय' ?
…
तंग आ गया हूँ 'उदय', मैं उनकी पैंतरेबाजी से
राजनीति, …… उफ़ ! वो भी गरीबों के सांथ ?
…
पर, दोस्ती के भी तो कुछ उसूल होते हैं ?
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सच ! घुप्प अंधेरा…छा गया है बारिशों से
सिर्फ, कड़कडाती बिजलियों की रौशनी है ?
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बा-अदब… क़ुबूल है,… सलाम हुजूर का
मौसम-औ-बरसात,…दोनों का शुक्रिया ?
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वैसे उन्ने, सौ टका टंच बात कही है
विरोध तो,…. आम बात है 'उदय' ?
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तंग आ गया हूँ 'उदय', मैं उनकी पैंतरेबाजी से
राजनीति, …… उफ़ ! वो भी गरीबों के सांथ ?
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1 comment:
ग़रीबों की आस और आह, दोनों ही लम्बी होती है।
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